तालियाँ : शुचि मिश्रा | कविता | ShuchiMishraJaunpur

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वह तेज़…
बहुत तेज़ दौड़ी
लोगों ने तालियाँ पीटी

बहुत तेज़ दौड़ते हुए
वह बहुत तेज़ गिरी
लोगों ने फिर तालियाँ पीटी

महत्वपूर्ण था तेज़ दौड़ना
कि यह सफलता की ओर
बढ़ा क़दम था
महत्वपूर्ण गिरना भी था
यह एक सीख थी

तालियाँ कतई महत्वपूर्ण
नहीं थी जिसमें
दौड़ना और गिरना
खो गई दोनों क्रियाएँ।

————–( शुचि मिश्रा, जौनपुर ) ———————-

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