Latestकविताएँ चुम्बन | कविता | शुचि मिश्रा | ShuchiMishraJaunpur Shuchi MishraMay 23, 2024May 23, 2024 Share पेशानी परतुम्हारे होंठों केस्पर्श से जाना किछुआ जा सकता हैआत्मा कोइस तरह भी….. (शुचि मिश्रा)
आना | कविता : शुचि मिश्रा | ShuchiMishraJaunpur ShareShare जब आने पर लिखी हैंबहुत से कवियों ने कविताएंतब क्या मुझेतुम्हारे आने पर नहीं लिखना चाहिए मेरे ‘आना’ लिखने…
चुम्बन | कविता | शुचि मिश्रा | ShuchiMishraJaunpur ShareShare पेशानी परतुम्हारे होंठों केस्पर्श से जाना किछुआ जा सकता हैआत्मा कोइस तरह भी…..
ख़त पढ़ने का मेरा तरीक़ा है यह | कविता : एमिली डिकिन्सन | अनुवाद : शुचि मिश्रा | #ShuchiMishraJaunpur ShareShareख़त पढ़ने का मेरा तरीक़ा है यहसबसे पहले मैं दरवाजे़ पर ताला लगाती हूँऔर उसे खींचकर आश्वस्त होती हूँक्योंकि उसके…