चुम्बन | कविता | शुचि मिश्रा | ShuchiMishraJaunpur

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पेशानी पर
तुम्हारे होंठों के
स्पर्श से जाना कि
छुआ जा सकता है
आत्मा को
इस तरह भी…..

  • (शुचि मिश्रा)
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