तुम्हारे साथ : शुचि मिश्रा | कविता | ShuchiMishraJaunpur

साथ-साथ, सात-सातआसमान, लोक, समुद्र, द्वीप,सुर, छंद और जनम तुम्हारे साथसारी खुशियाँ, सारे ग़म तुम्हारे साथतमाम दुर्गम रास्ते-पठारनर्म दूब भरे मैदान…

मौन प्रीत – गैब्रिएला मिस्त्राल | अनुवाद : शुचि मिश्रा | ShuchiMishraJaunpur

मुझमें वितृष्णा होती तो मैंनेनफ़रत की होती आपसेबारहा लफ़्ज़ों के जरिएज़रूरी तौर पर भीकिंतु मुझे प्यार है आपसेऔर मेरे प्यार…

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