ख़त पढ़ने का मेरा तरीक़ा है यह | कविता : एमिली डिकिन्सन | अनुवाद : शुचि मिश्रा | #ShuchiMishraJaunpur

ख़त पढ़ने का मेरा तरीक़ा है यहसबसे पहले मैं दरवाजे़ पर ताला लगाती हूँऔर उसे खींचकर आश्वस्त होती हूँक्योंकि उसके…

जनता की रोटी है न्याय ० बैर्तोल्त ब्रेष्त | अनुवाद : शुचि मिश्रा | ShuchiMishraJaunpur

पर्याप्त-अपर्याप्त, स्वादिष्ट और स्वादहीन जो भी है जनता की रोटी है न्याय दुर्लभ होती है जब; भूख होती है तब…

अच्छी वजह से निष्कासन ० बैर्तोल्त ब्रेष्त | अनुवाद : शुचि मिश्रा | ShuchiMishraJaunpur

संपन्न घरों के बच्चों-सी हुई मेरी परवरिश गले में कॉलर बाँध माँ-पिता ने खूब ध्यान रखा लालन-पालन कर मुझे किया…

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