रिश्ते-नाते : शुचि मिश्रा | गीत | ShuchiMishraJaunpur
रिश्ते नातेआते-जातेदिखे इमारत से ! जिनके बनने मेंलगता है अधिक समयकि लोग रहे अनजान,उन्हें पता क्याभव्य इमारतकैसे हुई महान? कितना…
Poetry/ Writer, Jaunpur (U.P)
रिश्ते नातेआते-जातेदिखे इमारत से ! जिनके बनने मेंलगता है अधिक समयकि लोग रहे अनजान,उन्हें पता क्याभव्य इमारतकैसे हुई महान? कितना…
भीतर आऊँ या न आऊँ? भ्रमित-सी हो गई हूँमैं तुम्हारी देहरी पर बावरी-सी हो गई हूँ। खींच लाई पीर जो…