तुम कठिनतर प्रश्न : शुचि मिश्रा | कविता | ShuchiMishraJaunpur

Share


हमेशा सरल सवालों को हल किया पहले
बचते-बचाते रहे कठिन से
सोचा हल कर लेंगे बाद में
पहले दे लें सरल सरल जवाब

पता न थे कठिन प्रश्नों के उत्तर
कयास भी लगाया तो अंदेशा बना रहा
इसलिए गोल-मोल तहरीर होती रही हमारी

सरल प्रश्नों के लिए ज्यों
भर दी मेनकॉपी दो घंटे में
शेष एक ही घंटा बच रहा
कठिन के लिए अक्सर

तुम उस एक घंटे के कठिन प्रश्न थे जीवन में
जिसे हल करना जैसे चुनौती रही
जूझते जूझते बीत गया वक़्त
और तुम वक़्त-बेवक़्त कठिन होते गए
कठिन-कठिन इतने की छूट गए अंततः ।

————–( शुचि मिश्रा, जौनपुर ) ———————-

ShuchiMishra | #ShuchiMishraJaunpur | #ShuchiMishraPoetry | #Mitawan | #ShuchiMishraJaunpurUttarPradesh #Badlapur | #ShuchiMishraJ | #ShuchiMishraBadlapur | #Jaunpur | #UttarPradesh | #indianpoetry | #poetry | #poetrycommunity | #poetsofinstagram | #poetrylovers | #writer |

error: Content is protected !!