ख़त पढ़ने का मेरा तरीक़ा है यह | कविता : एमिली डिकिन्सन | अनुवाद : शुचि मिश्रा | #ShuchiMishraJaunpur

ख़त पढ़ने का मेरा तरीक़ा है यहसबसे पहले मैं दरवाजे़ पर ताला लगाती हूँऔर उसे खींचकर आश्वस्त होती हूँक्योंकि उसके…

‘आत्मग्लानि’ के पक्ष में | विस्लॉवा शिम्बोर्स्का | अनुवाद – शुचि मिश्रा | #ShuchiMishraJaunpur

बाज ने अपना दोष कहाँ स्वीकारासंकोच का अर्थ नहीं जानता बाघपिरान्हा आक्रमण करते हुए शर्मिंदा नहीं होतीअगर होते साँपों के…

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