स्टीफन हॉकिंग ने कहा
और सुना सारी दुनिया ने
जी हां, स्टीफन हॉकिंग ने कहा
अपनी ऐसी जुबान से
जो बुदबुदा सकती थी बस
अंगुलियों के इशारे से
पलकों के झपकने से
मन से कहा बरास्ते मस्तिस्क
सुपर कम्प्यूटर से
एडवांस टेक्नोलॉजी के माध्यम से
स्टीफन हॉकिंग ने कहा,
वह जुबाँ से कह नहीं सकते थे
किंतु इतना अचरज फैला है ब्रह्मांड में
कि चुप रह नहीं सकते थे
अपनी चुप्पी तोड़ते कहा उन्होंने
कि ईश्वर ने नहीं रचा या खोजा ब्रह्मांड
गुरुत्वाकर्षण के कारण शून्य से
विराट में अवतरित हुआ यह
स्पेस और टाइम यह परिणित होगा
ब्लैक होल में अंततः
स्टीफन हॉकिंग ने कहा जो अचरज भरा कि
प्रकृति की घटनाओं को देखें-समझें- सुनें-गुनें
इस गुनने के लिए विज्ञान के नियम पर्याप्त नहीं
तलाशने-खोजने होंगे अन्य नियम और ग्रह भी
ग्रह जो धरती की तरह माकूल हो
कि कभी भी नष्ट हो सकती है धरा
मनुष्य के अस्तित्व को बचाए रखना होगा
जब तक दूसरी पृथ्वी विकसित ना हो जाए
जैसे यह पृथ्वी बनी है महाविस्फोट से
करना होगा हमें एक विस्फोट विचारों का
फैलाना होगा अपने विचारों को
ज्यों फैल रहा ब्रह्मांड
स्टीफन हॉकिंग ने कहा
जब तक रहेगी पृथ्वी और पृथ्वी जैसे पिंडों की संभावना
जीवन की संभावना भी, मनुष्य की भी
संभावना है हर कहीं
जीवन के होने की
दूसरे-दूसरे ग्रहों पर कहीं
चाहे कहें एलियन
या उनका जीवन
भिन्न ही होगा
खतरनाक होगा उनसे संपर्क करना
अपने अस्तित्व और विस्तार के लिए
कर सकते हैं वह आक्रमण हम पर
स्टीफन हॉकिंग ने कहा कि
चलना जीवन है और चलते जाने के पथ पर
अक्षमता नहीं है कोई बाधा
स्टीफन हॉकिंग ने कहा कि
बाधाओं के पार मंजि़ल है
स्टीफन हॉकिंग ने कहा
और उसे साबित किया
जब सुना उन्होंने डॉक्टर्स के मुंह से
कि हो गई है एमीयोट्रोफिक लैटरल सिरोसिस बीमारी
बमुश्किल रह सकेंगे दो-तीन वर्ष जीवित
तब दिखाई स्टीफन हॉकिंग में जिजीविषाा
जिया दीर्घ जीवन
किए वे सब काम
जो कर ना सके स्वस्थ मनुष्य-वैज्ञानिक
दरअमन मन-मस्तिष्क से स्वस्थ रहें
जीवन भर स्टीफन हॉकिंग
उन्होंने वह सब कहा
जो मस्तिष्क से मस्तिष्क तक पहुंचता था
और दिल से दिल तक
यह सब उन्होंने बिना आवाज के कहा
और बगैर जुबान के, अंगुलियों के इशारे से
पलक झपकते हुए कहा
जिसे हम सब ने सुना और जो कहा उसे समझने में
पलक झपकने की देर न लगी ।
————–( शुचि मिश्रा, जौनपुर ) ———————-