रेखांकित करने वाली बात : शुचि मिश्रा | कविता | ShuchiMishraJaunpur
वह उठती है अलस्सुबहसुबह होने के पहलेकि उसी से होती है हर भोरचारों ओरफैलता है उजासजब वह उठती है तो…
Poetry/ Writer, Jaunpur (U.P)
वह उठती है अलस्सुबहसुबह होने के पहलेकि उसी से होती है हर भोरचारों ओरफैलता है उजासजब वह उठती है तो…
आकाश दीखता है जितनाअनंत है उतनाअंतस में भी उतना ही अनंत आकाश एक तत्व है देह काअनंत भी हुआ एक…
एक गहरी रातनिस्तब्ध अंधेराउलझी अंगुलियाँअनकही बात एक गहरी रातमुंदी आँखेंकाँपते अधरठिठुरते गात एक गहरी रात कोआकृति देतीदो परछाई दूर-दूरबहुत दूर…
तनाव में जीती स्त्री के चेहरे सेउसका कोमल भाव बदल जाता है कठोरता मेंवह खतरनाक होती हैख़ुद लिए भी और…
आओ, समुद्र की लहरों पर स्केटिंग करेंउड़ान भरें एक शिखर से दूसरे शिखरनाप लें कदमताल करते धरती की परिधि आओ…
कविता की एक पंक्तिदूर तक फैली हैशांत-निस्तब्ध पंक्ति के साथ-साथविस्तृत होती हैरातसन्नाटा बुनते एकाकीपन कह रहा हैअपनी कथा-व्यथाखुद की आवाज़सुनते-गुनते।…
माँ आज भी जगाती हैसुबह सुबहचिड़ियो़ के चहचहाते हीएक गहरी नींद से माँ है तो सुबह होती हैमाँ के ना…
पलकें बंद करमैंने देखाउसेपूरे चाँद वाली रात मेंचुप-चुप वहताक रहा था चाँद एक मनुष्य केचकोर बन जाने की घटनाघट रही…
स्टीफन हॉकिंग ने कहाऔर सुना सारी दुनिया ने जी हां, स्टीफन हॉकिंग ने कहाअपनी ऐसी जुबान सेजो बुदबुदा सकती थी…
स्मृति की टोह लीयाद किया बचपनघर-आँगन, नीम का पेड़पनघट, गौशाला, खेत-मेड़पगडंडी, रंग-अबीरबसंत, वटवृक्ष, नदी-तीर याद किया एक सादा जीवनआंखों की…