Latestकविताएँ अर्थ | कविता | शुचि मिश्रा | ShuchiMishraJaunpur Shuchi MishraMay 29, 2023May 29, 2023 Share एक लहर ले जाती है मुझेअपने संगनदी हो जाती हूँ मैं एक सुरसंगीत बनता हुआ खो जाता है एक शब्दऔर विस्तार पाता है मौन बगैर खोएजीवन भी कहाँ? पृथ्वी में खो जाता है बीजमाटी को अर्थ देते हुए। शुचि मिश्रा
आना | कविता : शुचि मिश्रा | ShuchiMishraJaunpur ShareShare जब आने पर लिखी हैंबहुत से कवियों ने कविताएंतब क्या मुझेतुम्हारे आने पर नहीं लिखना चाहिए मेरे ‘आना’ लिखने…
चुम्बन | कविता | शुचि मिश्रा | ShuchiMishraJaunpur ShareShare पेशानी परतुम्हारे होंठों केस्पर्श से जाना किछुआ जा सकता हैआत्मा कोइस तरह भी…..
ख़त पढ़ने का मेरा तरीक़ा है यह | कविता : एमिली डिकिन्सन | अनुवाद : शुचि मिश्रा | #ShuchiMishraJaunpur ShareShareख़त पढ़ने का मेरा तरीक़ा है यहसबसे पहले मैं दरवाजे़ पर ताला लगाती हूँऔर उसे खींचकर आश्वस्त होती हूँक्योंकि उसके…