जैसे
नमक के साथ
रोटी खाना
ठीक ऐसा ही है
तुम्हें प्रेम करना
ज्वर में जागना
और चेहरे पर मारना
पानी की धार
ऐसा पार्सल
जिसपर नाम हो न पता
चौकन्ना होकर खोलना
उत्सुकता से
जैसे समुद्र पर उड़ना
पहली बार
अपने शहर
इस्तांबुल पर साँझ गहराना
शनैः शनैः
तुम्हें प्रेम करना;
ऐसा कहना कि
ज़िंदा हूँ मैं !
————–( शुचि मिश्रा, जौनपुर ) ———————-