प्रेम करना ० नाज़िम हिक्रमत | अनुवाद : शुचि मिश्रा ||ShuchiMishraJaunpur

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जैसे

नमक के साथ

रोटी खाना

ठीक ऐसा ही है

तुम्हें प्रेम करना

ज्वर में जागना

और चेहरे पर मारना

पानी की धार

ऐसा पार्सल

जिसपर नाम हो न पता

चौकन्ना होकर खोलना

उत्सुकता से

जैसे समुद्र पर उड़ना

पहली बार

अपने शहर

इस्तांबुल पर साँझ गहराना

शनैः शनैः

तुम्हें प्रेम करना;

ऐसा कहना कि

ज़िंदा हूँ मैं !

————–( शुचि मिश्रा, जौनपुर ) ———————-

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