स्टीफन हॉकिंग ने कहा और सुना सारी दुनिया ने : शुचि मिश्रा | कविता | ShuchiMishraJaunpur
स्टीफन हॉकिंग ने कहाऔर सुना सारी दुनिया ने जी हां, स्टीफन हॉकिंग ने कहाअपनी ऐसी जुबान सेजो बुदबुदा सकती थी…
Poetry/ Writer, Jaunpur (U.P)
स्टीफन हॉकिंग ने कहाऔर सुना सारी दुनिया ने जी हां, स्टीफन हॉकिंग ने कहाअपनी ऐसी जुबान सेजो बुदबुदा सकती थी…
स्मृति की टोह लीयाद किया बचपनघर-आँगन, नीम का पेड़पनघट, गौशाला, खेत-मेड़पगडंडी, रंग-अबीरबसंत, वटवृक्ष, नदी-तीर याद किया एक सादा जीवनआंखों की…
सामने तुम, देखती हूँ दिल के पर्दे परतुम प्रदीप्त, निहारती हूँ अपलक तुम्हेंआंखों में समा बंद करती हूं पलकगिरा लेती…
तवे-साआँच पर तपो ताकि मिल सकेभूखे को रोटी। ————–( शुचि मिश्रा, जौनपुर ) ———————- ShuchiMishra | #ShuchiMishraJaunpur | #ShuchiMishraPoetry |…
साथ-साथ, सात-सातआसमान, लोक, समुद्र, द्वीप,सुर, छंद और जनम तुम्हारे साथसारी खुशियाँ, सारे ग़म तुम्हारे साथतमाम दुर्गम रास्ते-पठारनर्म दूब भरे मैदान…
वह तेज़…बहुत तेज़ दौड़ीलोगों ने तालियाँ पीटी बहुत तेज़ दौड़ते हुएवह बहुत तेज़ गिरीलोगों ने फिर तालियाँ पीटी महत्वपूर्ण था…
हमेशा सरल सवालों को हल किया पहलेबचते-बचाते रहे कठिन सेसोचा हल कर लेंगे बाद मेंपहले दे लें सरल सरल जवाब…
गर्द के उड़ने का समय है यहविस्थापन पुराने पत्तों काकोंपलें और अनुभूत-पल्लव के स्थापन काहवाओं के मिज़ाज बदलने का भी…
कहने सुनने के भीअजब नियम होते हैं सरकार बोल रहीजनता ख़ामोश है लेकिन जनता की आवाज़नारों में बदलती जा रहीऔर…
आओ दु:ख के दुर्ग को ढँहाकर आओअश्रुओं से बना है यह दुर्गजिसमें रह रही हूँ इन दिनों यूँ देखने में…