हर मुमकिन कोशिश के बावजूद : शुचि मिश्रा | कविता | ShuchiMishraJaunpur

खिड़की के बाहरझाँकती है फूल सी बच्चीबाहर झाँकते हैंउसके सपने कभी भी बंद हो सकते हैंखिड़की के पट द्वार खुलना…

तुम्हारे साथ : शुचि मिश्रा | कविता | ShuchiMishraJaunpur

साथ-साथ, सात-सातआसमान, लोक, समुद्र, द्वीप,सुर, छंद और जनम तुम्हारे साथसारी खुशियाँ, सारे ग़म तुम्हारे साथतमाम दुर्गम रास्ते-पठारनर्म दूब भरे मैदान…

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