ताकि : शुचि मिश्रा | कविता | ShuchiMishraJaunpur
तवे-साआँच पर तपो ताकि मिल सकेभूखे को रोटी। ————–( शुचि मिश्रा, जौनपुर ) ———————- ShuchiMishra | #ShuchiMishraJaunpur | #ShuchiMishraPoetry |…
Poetry/ Writer, Jaunpur (U.P)
तवे-साआँच पर तपो ताकि मिल सकेभूखे को रोटी। ————–( शुचि मिश्रा, जौनपुर ) ———————- ShuchiMishra | #ShuchiMishraJaunpur | #ShuchiMishraPoetry |…
एक नदी दूसरी नदी से मिलीऔर जा मिली सागर मेंएक हवा का झोका दूसरे से मिलाऔर बादल ले उड़ाएक सुगंध…
धीरे-धीरे रौशनी चली गईख़ुद चराग़ में ज्यूँचेतना गई ऐसे हीनिश्चेत के अज्ञात लोक में रात भर पड़ा रहाशरीर बेसुधतब भी…
खिड़की के बाहरझाँकती है फूल सी बच्चीबाहर झाँकते हैंउसके सपने कभी भी बंद हो सकते हैंखिड़की के पट द्वार खुलना…
साथ-साथ, सात-सातआसमान, लोक, समुद्र, द्वीप,सुर, छंद और जनम तुम्हारे साथसारी खुशियाँ, सारे ग़म तुम्हारे साथतमाम दुर्गम रास्ते-पठारनर्म दूब भरे मैदान…
वह तेज़…बहुत तेज़ दौड़ीलोगों ने तालियाँ पीटी बहुत तेज़ दौड़ते हुएवह बहुत तेज़ गिरीलोगों ने फिर तालियाँ पीटी महत्वपूर्ण था…
हमेशा सरल सवालों को हल किया पहलेबचते-बचाते रहे कठिन सेसोचा हल कर लेंगे बाद मेंपहले दे लें सरल सरल जवाब…
गर्द के उड़ने का समय है यहविस्थापन पुराने पत्तों काकोंपलें और अनुभूत-पल्लव के स्थापन काहवाओं के मिज़ाज बदलने का भी…
लाश से बात करो सरकारकहेगी वही सच्ची बात, धारदारज़िंदगी अब कुछ नहीं कहती मूक हैं लोगऔर लाश मुखर क़त्ल की…
कहने सुनने के भीअजब नियम होते हैं सरकार बोल रहीजनता ख़ामोश है लेकिन जनता की आवाज़नारों में बदलती जा रहीऔर…