चुप्पी : शुचि मिश्रा | कविता | ShuchiMishraJaunpur

टीस जोदिल में उट्ठीरह गयीगंग-जमुनआँखों में आयीबह गयी रह गयीबह गयीयाद आतीऔर आते रह गयी हार बैठीसारी भाषाकहते-कहते दास्तां जोअनकही…

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