‘आत्मग्लानि’ के पक्ष में | विस्लॉवा शिम्बोर्स्का | अनुवाद – शुचि मिश्रा | #ShuchiMishraJaunpur

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बाज ने अपना दोष कहाँ स्वीकारा
संकोच का अर्थ नहीं जानता बाघ
पिरान्हा आक्रमण करते हुए शर्मिंदा नहीं होती
अगर होते साँपों के हाथ
तो वे कहते कि ये पाक हैं

पश्चाताप कब समझ आया लोमड़ी को
कब लड़खड़ाए शिकारी-जुआँरी
जबकि वे यह जानते हैं
कि सही हैं वे तो क्यूँ करेंगे ऐसा

यद्यपि कातिल व्हेलों के हृदय का वज़न
एक टन होता है अनुमानित
किंतु हल्की होती हैं वे कई मामलों में

अमानुषिकता के संकेतों के मध्य
जो सौरमंडल का तीसरा ग्रह है
उस पर एक दोषमुक्त अव्वल है।


अनुवाद : शुचि मिश्रा

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