साक्ष्य : शुचि मिश्रा | कविता | ShuchiMishraJaunpur
हमारे संग केसाक्ष्यकहां गए ? नहीं रहाकोई चिह्न शेष अब भी संग संग हैअशेष ही अशेष मैं आग बन जाऊं…
Poetry/ Writer, Jaunpur (U.P)
हमारे संग केसाक्ष्यकहां गए ? नहीं रहाकोई चिह्न शेष अब भी संग संग हैअशेष ही अशेष मैं आग बन जाऊं…
आखिरकार तुम अपनेअसली रूप मेंआ ही गए सामने तुम्हारे स्वार्थ की आग मेंऔर तुम्हारी लिप्सा की आंच मेंझुलस गए तुम्हारे…
( दादा जी को याद करते ) अब सुनहरे फ्रेम में उनकी तस्वीर जड़ी हैतस्वीर में वे उत्साहित दिख रहे…
इलाहाबाद का विज्ञानयानी शुकदेव प्रसादछोटा बघाड़ा में स्थित मकानवृक्षों से घिरा ज्यों अमराई के बीच प्रासादमेरे मन में जब तब…
संघर्ष और सफलता की जिस ज़मीन परतुम पांव जमाए बढ़ रही हो दिल्ली की सड़कों परयह ज़मीन यहीं सुल्तानपुर से…
छत्तीसगढ़ यात्रा के दौरानरेशम के बारे में जानते हुए मैंने जानारेशम की खेती करतीमुनिया के बारे में मुनिया के बारे…
ओ कवि,कभी सुना है तुमने !कि मछलियों नेझपकायीं पलकें ओ कवि !नींद पर लिखीतुमने ढेरों कविताएं कभी उस जालया कांटे…
तुमने नहीं कहाकि प्रेम है मुझसेन गुलाब दियान इज़हारतुमने यह भी नहीं कहाकि मेरी तरफ देखो चांदनी रात मेंताल-तट परसिर्फ…
हवा क्या देगी हमेंएक ज़ार भर आॕक्सीजनदो ज़ार भर हाइड्रोजन हवा सिर्फ़ यही देगीहमारी प्यास के बरक़्स हमें पता हैएचटूओ…
अच्छी बुरी अनुभूतियों केक्षण मुट्ठी भरभिगो दें पानी मेंथोड़ा समय देकर निथारें ये जो क्षण है नाअभी जो नरम पड़…