जोकर : शुचि मिश्रा | कविता | ShuchiMishraJaunpur
जिसकी सफलता परऔर सफलता परपेट पकड़-पकड़ कर हँसे उसने ही सिखाया किअगर वह सफल हो जाएतो नागवार गुजरती हैदर्शकों को…
Poetry/ Writer, Jaunpur (U.P)
जिसकी सफलता परऔर सफलता परपेट पकड़-पकड़ कर हँसे उसने ही सिखाया किअगर वह सफल हो जाएतो नागवार गुजरती हैदर्शकों को…
आज फिरबंद किए हृदय-द्वार आज फिरविमुख हुआ मनसूना रह गया आँगन झरा अभी-अभीपीपल-पातरह गईसंध्या की अधूरीनिशा से बात आज फिररह…
समय सांझ कासुंदर दृश्य ! एक वृद्ध टहलतेघर की ओर लौटते …वृद्ध की उंगलियां थामेनन्हा पोता चल रहा है कौन-किसे…
टीस जोदिल में उट्ठीरह गयीगंग-जमुनआँखों में आयीबह गयी रह गयीबह गयीयाद आतीऔर आते रह गयी हार बैठीसारी भाषाकहते-कहते दास्तां जोअनकही…
हमारे संग केसाक्ष्यकहां गए ? नहीं रहाकोई चिह्न शेष अब भी संग संग हैअशेष ही अशेष मैं आग बन जाऊं…
आखिरकार तुम अपनेअसली रूप मेंआ ही गए सामने तुम्हारे स्वार्थ की आग मेंऔर तुम्हारी लिप्सा की आंच मेंझुलस गए तुम्हारे…
( दादा जी को याद करते ) अब सुनहरे फ्रेम में उनकी तस्वीर जड़ी हैतस्वीर में वे उत्साहित दिख रहे…
इलाहाबाद का विज्ञानयानी शुकदेव प्रसादछोटा बघाड़ा में स्थित मकानवृक्षों से घिरा ज्यों अमराई के बीच प्रासादमेरे मन में जब तब…
संघर्ष और सफलता की जिस ज़मीन परतुम पांव जमाए बढ़ रही हो दिल्ली की सड़कों परयह ज़मीन यहीं सुल्तानपुर से…
छत्तीसगढ़ यात्रा के दौरानरेशम के बारे में जानते हुए मैंने जानारेशम की खेती करतीमुनिया के बारे में मुनिया के बारे…