मंजिलें क्या हैं ? यह पता रखना – ग़ज़ल । Shuchimishrajaunpur

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मंज़िलें क्या हैं? ये पता रखना
चल पड़े हो तो हौसला रखना

आरज़ू दीखती है हद्दे-नज़र
मुश्किलों से क्या गिला रखना

एक इबादत के लिए उम्रे-नज़्र
सामने अपने इक ख़ुदा रखना

जिन चराग़ों से दिल जो रौशन हो
उन चराग़ों को तुम बचा रखना

जाने किस राह पर मिलें-बिछड़े
अपनी आँखों में कुछ हया रखना ।।

(शुचि मिश्रा)

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